पिता की संपत्ति में हक पाने का सच : Ancestral Property Rights कानून क्या कहता है?

भारत में परिवारिक झगड़े और संपत्ति विवाद का सबसे बड़ा कारण Ancestral Property Rights यानी पैतृक संपत्ति में हक होता है। अक्सर देखा जाता है कि पिता की मृत्यु के बाद बेटों और बेटियों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है। कई लोग ये मानते हैं कि केवल बेटों को ही संपत्ति में अधिकार है, जबकि असली सच कुछ और है। आज इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि आखिर पिता की संपत्ति में बेटा-बेटी का हक कैसे बनता है, कानून इसके बारे में क्या कहता है और यदि आपको हक नहीं मिल रहा तो उसे कैसे हासिल किया जा सकता है।

पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) क्या होती है?

सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि पैतृक संपत्ति किसे कहा जाता है।

  • पैतृक संपत्ति वह होती है जो चार पीढ़ियों से चली आ रही हो।

  • यानी अगर किसी व्यक्ति को उसके दादा या परदादा से मिली संपत्ति है, तो वह Ancestral Property कहलाती है।

  • अगर पिता ने खुद अपने जीवन में कमाकर कोई संपत्ति बनाई है तो वह “Self Acquired Property” कहलाती है और उस पर उनका पूरा अधिकार होता है।

Ancestral Property Rights में किसका हक होता है?

भारतीय कानून के अनुसार –

  • बेटा और बेटी दोनों का बराबर हक होता है।

  • पहले केवल बेटों को अधिकार था, लेकिन 2005 में हुए Hindu Succession (Amendment) Act के बाद बेटियों को भी समान अधिकार दिया गया।

  • इसका मतलब यह है कि बेटी भी अपने पिता और दादा की पैतृक संपत्ति में उतना ही हक रखती है जितना बेटा।

पिता की संपत्ति में बेटियों का हक

2005 से पहले तक बेटियों को केवल शादी तक ही पिता के घर में अधिकार माना जाता था। लेकिन 2005 के संशोधन के बाद –

  • बेटियां भी पैतृक संपत्ति की “coparcener” यानी साझेदार बन गईं।

  • चाहे बेटी शादीशुदा हो या अविवाहित, उसका अधिकार बना रहेगा।

  • यहां तक कि अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई थी लेकिन संपत्ति का बंटवारा बाद में हुआ, तो बेटी को भी हक मिलेगा।

Self Acquired Property में हक

अगर पिता ने अपने मेहनत से कोई ज़मीन, मकान या अन्य संपत्ति खरीदी है तो वह पैतृक संपत्ति नहीं मानी जाएगी।

  • ऐसी संपत्ति को पिता अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं।

  • वसीयत (Will) बनाकर वे उसे किसी बेटे, बेटी या किसी अन्य रिश्तेदार को भी दे सकते हैं।

  • यानी Self Acquired Property पर बच्चों का स्वत: अधिकार नहीं बनता।

जब हक नहीं मिल रहा हो तो क्या करें?

अगर आपको लगता है कि आपके Ancestral Property Rights छीने जा रहे हैं या आपको हिस्सा नहीं दिया जा रहा है, तो आप ये कदम उठा सकते हैं –

  1. सबसे पहले परिवार में आपसी बातचीत से हल निकालने की कोशिश करें।

  2. अगर आपसी सहमति से मामला नहीं सुलझता तो आप सिविल कोर्ट में केस कर सकते हैं।

  3. कोर्ट में आप “partition suit” यानी संपत्ति का बंटवारा करवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

  4. कोर्ट आदेश देकर हर कानूनी उत्तराधिकारी को बराबर हिस्सा दिला सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. क्या केवल बेटों का हक है पैतृक संपत्ति में?
नहीं, बेटा और बेटी दोनों का समान हक है।

2. क्या पिता बेटी को पैतृक संपत्ति से बेदखल कर सकता है?
नहीं, पैतृक संपत्ति में बेटी को उसके अधिकार से कोई नहीं हटा सकता।

3. अगर पिता की मृत्यु हो गई है तो क्या बेटी को हक मिलेगा?
हाँ, 2005 के बाद से बेटी को पिता की मृत्यु के बाद भी हक मिलेगा।

4. क्या पोते-पोती का भी अधिकार है?
हाँ, दादा की संपत्ति पैतृक है तो पोते और पोतियों को भी अधिकार मिलेगा।

भारत में अक्सर लोग जागरूकता की कमी के कारण अपने कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। अगर आपको भी लगता है कि आपको पिता की संपत्ति में हक नहीं मिल रहा तो आपको कानून का सहारा लेने में हिचकना नहीं चाहिए। बेटा हो या बेटी, हर किसी का अधिकार बराबर है और इसे कोई छीन नहीं सकता।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न इंटरनेट स्रोतों और कानून की पुस्तकों से ली गई है। यह केवल जागरूकता के उद्देश्य से है। किसी भी कानूनी निर्णय से पहले योग्य वकील या विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।

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