हर साल जैसे-जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) का छात्र जीवन चलता है, एक घटना जिसका इंतजार सभी को रहता है, वह है DUSU Election Results. 2025 के DUSU चुनावों के नतीजे सिर्फ कॉलेज स्तर के नहीं बल्कि छात्रों की आवाज़, उनकी उम्मीदों और राजनीतिक प्रवृत्तियों का भी आईना हैं. इस ब्लॉग में मैं आपको 2025 के DUSU चुनावी परिणामों (DUSU Election Results 2025) की पूरी जानकारी दूँगा — वोटिंग प्रतिशत, किस पार्टी ने किस पद पर बढ़त बनाई, किसने क्या वादा किया था, और इन नतीजों का क्या मतलब हो सकता है।
DUSU Election Results 2025 — चुनाव की पृष्ठभूमि और प्रक्रिया

DUSU यानी Delhi University Students’ Union चुनाव हर साल होते हैं, जिनमें चार मुख्य पदों के लिए छात्र-छात्राएँ मैदान में उतरते हैं: President, Vice-President, Secretary, और Joint Secretary। इस साल चुनाव तारीख घोषित की गई थी, वोटिंग हुई 18 सितंबर 2025 को और वोटों की गिनती शुरू हुई 19 सितंबर को।
प्रत्याशियों के नामों की सूची, उनकी पात्रता, चुनाव खर्च और प्रचार के नियमों पर विश्वविद्यालय ने कुछ नए कड़े दिश-निर्देश दिए। पोस्टर-रैली-लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध, दीवारों पर प्रचार सामग्री की मर्यादा, तथा कॉलेजों द्वारा उम्मीदवारों की उपस्थिति (attendance) की जाँच जैसे नियमों को लागू किया गया।
मतदान दो पाली में हुआ — दिन के लिए और शाम के लिए ताकि दिन-और-शाम की कक्षाएँ या छात्र व्यवधान न हो। मतदान केंद्रों की संख्या, बूथों और ईवीएम (EVM) की व्यवस्था थी ताकि प्रक्रिया सुचारू हो सके।
DUSU Election Results 2025 — मतदान प्रतिशत और मुख्य आँकड़े
इस साल का voter turnout करीब 39.36-39.45 प्रतिशत रहा। इस तरह देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों से थोड़ी बढ़त है लेकिन अभी भी वह स्तर नहीं जिस पर बड़ी उम्मीद थी।
कुल मिलाकर लगभग 2.75 लाख छात्रों को मतदान के लिए योग्य माना गया, 50 से ज़्यादा कॉलेज शामिल थे, और करीब 195 बूथों पर वोटिंग हुई थी। ईवीएम मशीनों की संख्या और सुरक्षा व्यवस्था भी अच्छी थी।
DUSU Election Results 2025 — कौन-कौन सी पार्टियाँ और उम्मीदवार आगे
मुख्य मुकाबला ABVP (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) और NSUI (National Students’ Union of India) के बीच रहा। इसके अलावा SFI-AISA की एलायंस ने भी मैदान में हिस्सा लिया।
ABVP ने अपने उम्मीदवारों जैसे Aryan Mann (President), Govind Tanwar (Vice President), Kunal Choudhary (Secretary), Deepika Jha (Joint Secretary) को मैदान में उतारा। NSUI ने Joslyn Nandita Choudhary को राष्ट्रपति पद के लिए उतारा। ये नामों की लड़ाई इस चुनाव की खास पहचान बने।
केवल अध्यक्ष पद पर ही नहीं, अन्य पदों पर भी ABVP ने शुरुआती चुनौतियाँ पार की और कई राउंड बाद वह बढ़त बनाए हुए है। NSUI की कोशिशें मजबूत रहीं, विशेष रूप से Vice President पद पर।
DUSU Election Results 2025 — राउंड-बाय-राउंड स्थिति और नेता कौन बन सका?
गिनती लगभग 18-20 राउंड की गई। प्रारंभिक राउंड्स में ABVP के प्रत्याशी President पद पर आगे थे। Vote-counting की प्रक्रिया में जैसे-जیسے राउंड आगे बढ़े, अन्य पदों पर भी ABVP ने अपनी पकड़ मजबूत की। लेकिन कुछ पदों पर NSUI उम्मीदवार भी लड़ रहे हैं और मुकाबला अभी समाप्त नहीं हुआ था जब यह जानकारी सामने आई।
वोट काउंटिंग के बाद, ABVP उम्मीदवारों ने अधिकांश पदों में बढ़त बना ली थी, विशेष रूप से President, Secretary, Joint Secretary पदों में। Vice President पद पर NSUI का प्रत्याशी अभी भी अग्रणी था कुछ राउंड बाद।
DUSU Election Results 2025 — वादे, मुद्दे और छात्रों की उम्मीदें
चुनावी प्रचार के दौरान मुख्य मुद्दे रहे- फीस वृद्धि (fee hike), हॉस्टल की कमी (hostel shortage), महिलाओं की सुरक्षा, NEP (National Education Policy) की तात्कालिकता, और छात्र सुविधाओं की स्थिति। ABVP ने मुफ्त Wi-Fi, सब्सिडाइज़्ड मेट्रो पास, खेल सुविधाएँ बढ़ाने, लोगों की पहुँच (accessibility) और विश्वविद्यालय में संरचनात्मक सुधार जैसे वादे किये।
NSUI ने छात्र कल्याण सम्बंधित मुद्दों को प्रमुखता दी — हॉस्टल मुद्दे, लैंगिक न्याय (gender justice), सेनेटरी सुविधाएँ, छात्र सुरक्षा आदि विषयों पर जोर। SFI-AISA की एलायंस ने लेफ्ट-लीज हस्तक्षेप की मांग की और जिम्मेदार शिक्षा प्रणाली, फीस पर नियंत्रण की बात कही।
DUSU Election Results 2025 — क्या संकेत मिलते हैं और आगे क्या हो सकता है
DUSU Election Results 2025 न सिर्फ यह बताती है कि किस पार्टी ने कितने पद जीते, बल्कि यह संकेत हैं कि छात्रों के बीच किस तरह की राजनीति ज्यादा सहायक है। ABVP की बढ़त छात्रों की उन ज़रूरतों की ओर है जो बुनियादी सुविधाएँ, इनफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी सुधार चाहती हैं। वहीं NSUI और Left Alliance छात्रों के सामाजिक और सुरक्षा- संबंधित चिंताओं को उठा रही हैं।
इसका एक और मतलब यह है कि छात्र राजनीति अब सिर्फ रैली-पोस्टर की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि डिजिटल कैंपेन, सोशल मीडिया प्रभाव, मुद्दों की प्रस्तुति और व्यक्तिगत संवाद का भी महत्व बढ़ गया है। उन चुनावी manifestos और वादों पर ध्यान दिया जा रहा है जो सकल-स्थानीय बुनावट के साथ जुड़े हों।
भविष्य में ये परिणाम विश्वविद्यालय अंदर छात्रों की भागीदारी (student participation) बढ़ाने, चुनावी शिक्षा सुधारने और छात्र-हितों को प्रशासन में शामिल करने के लिए मील का पत्थर हो सकते हैं। यदि जमीनी स्तर पर वादे निभाए जाएँ, हॉस्टल्स बनाए जाएँ, सुविधाएँ सुधारी जाएँ, तो ये चुनाव बस गिनती तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि वास्तविक बदलाव का माध्यम बनेंगे।
Disclaimer:
यह जानकारी सरकारी साइट्स, खबरों और इंटरनेट स्रोतों से एकत्रित की गई है।
यह सिर्फ जागरूकता के उद्देश्य से है।