भारत में टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाने के लिए साल 2017 में GST (Goods and Services Tax) लागू किया गया था। शुरुआत में इसके कई स्लैब रखे गए थे, लेकिन समय-समय पर सरकार इसमें बदलाव करती रही है। अब चर्चा में है GST 2.0, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि इसमें और भी पारदर्शिता लाई जाएगी। आम जनता को समझने में आसानी हो, इसके लिए टैक्स स्लैब को 0%, 5%, 18% और 40% की चार श्रेणियों में बांटा गया है। लोग सबसे ज्यादा यही जानना चाहते हैं कि उनके रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ें आखिर किस स्लैब में आती हैं। यही वजह है कि इंटरनेट पर “GST 2.0 complete list” और “GST 2.0 item wise tax rate” जैसे keywords ट्रेंड कर रहे हैं।

GST 2.0 क्या है और क्यों जरूरी है?
GST 2.0 को एक नए वर्ज़न की तरह देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों में GST की आलोचना इसलिए होती रही है क्योंकि इसमें कई कैटेगरी थीं और आम आदमी को समझ नहीं आता था कि किस प्रोडक्ट पर कितना टैक्स देना होगा। अब सरकार ने 0%, 5%, 18% और 40% जैसे स्पष्ट स्लैब बनाए हैं ताकि कंफ्यूजन कम हो।
इसका सीधा फायदा यह होगा कि टैक्स चोरी रुकेगी, बिजनेस करने वालों को अकाउंटिंग आसान लगेगी और उपभोक्ताओं को भी चीजों की कीमत का स्पष्ट अंदाजा रहेगा। साथ ही, GST 2.0 डिजिटल इकोनॉमी को और मजबूत करेगा क्योंकि अब ऑनलाइन बिलिंग और रिटर्न फाइलिंग में भी आसानी होगी।
0% GST स्लैब में क्या-क्या है?
सबसे पहले बात करते हैं 0% GST स्लैब की। यह वह श्रेणी है जिसमें आम जनता की जरूरत की रोज़मर्रा की चीज़ें आती हैं। सरकार का मकसद है कि बेसिक जरूरत की वस्तुओं पर टैक्स का बोझ बिल्कुल न हो। इसी वजह से खाद्य अनाज जैसे गेहूं, चावल, दालें और दूध को इस स्लैब में रखा गया है।
इसके अलावा कुछ जरूरी दवाइयां और शैक्षणिक किताबें भी 0% श्रेणी में आती हैं। यानी अगर कोई स्टूडेंट किताब खरीदता है या कोई परिवार रोजमर्रा का राशन खरीदता है तो उसे टैक्स का अतिरिक्त बोझ नहीं उठाना पड़ता। GST 2.0 में यह व्यवस्था आम आदमी को राहत देने के लिए जारी रहेगी।
5% GST स्लैब के प्रोडक्ट्स
दूसरी श्रेणी 5% GST स्लैब की है। इसमें वे सामान और सेवाएं आती हैं जो जरूरी तो हैं लेकिन लग्जरी कैटेगरी में नहीं आते। उदाहरण के लिए पैक्ड फूड आइटम्स, कुछ घरेलू सामान, ट्रांसपोर्ट सेवाएं और सस्ती रेस्टोरेंट सर्विसेज इसमें शामिल की गई हैं।
इस श्रेणी का मकसद यह है कि जनता पर हल्का टैक्स लगाया जाए ताकि सरकार को रेवेन्यू भी मिले और लोगों की जेब पर ज्यादा असर भी न पड़े। GST 2.0 में 5% टैक्स वाले प्रोडक्ट्स की संख्या थोड़ी बढ़ सकती है क्योंकि सरकार कुछ नए मिड-रेंज प्रोडक्ट्स को भी इस श्रेणी में शामिल करने पर विचार कर रही है।
18% GST स्लैब में क्या है?
भारत में सबसे ज्यादा चर्चा 18% GST स्लैब की होती है क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में प्रोडक्ट्स आते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, इंटरनेट सेवाएं और इंश्योरेंस जैसी कई चीजें इसी स्लैब में रखी गई हैं।
iPhone जैसे प्रीमियम स्मार्टफोन की कीमत पर भी इसी 18% GST का सीधा असर पड़ता है। यही कारण है कि लोग “GST 2.0 electronics tax rate” जैसे सर्च करते रहते हैं।
इस स्लैब में रखी गई चीजों पर टैक्स दर मध्यम मानी जाती है। यह सरकार को अच्छा रेवेन्यू देती है और उपभोक्ता भी इसे वहन कर लेते हैं। हालांकि कई बार यही 18% टैक्स प्रोडक्ट्स को महंगा बना देता है और लोगों में यह चर्चा होती रहती है कि इसे घटाया जाए।
40% GST स्लैब: लग्जरी और सिन टैक्स
सबसे आखिरी और हाईएस्ट स्लैब है 40% GST। इसमें लग्जरी आइटम्स और सिन गुड्स यानी तंबाकू, सिगरेट, शराब जैसी चीजें आती हैं। सरकार का मकसद है कि इन प्रोडक्ट्स पर ज्यादा टैक्स लगाकर इनके उपभोग को कम किया जाए और साथ ही रेवेन्यू भी बढ़ाया जाए।
कार, SUV, महंगी बाइक और लग्जरी होटल सर्विसेज को भी इसी श्रेणी में रखा गया है। GST 2.0 में यह दर जारी रहेगी ताकि लग्जरी आइटम खरीदने वाले लोग ज्यादा टैक्स देकर सरकार के रेवेन्यू में योगदान दें।
Disclaimer
इस ब्लॉग में दी गई जानकारी सरकारी वेबसाइट्स, न्यूज़ रिपोर्ट्स और इंटरनेट सोर्सेज से ली गई है। इसका उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना है। इसे किसी प्रकार की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में न लें।